क्या है, हैप्पीनेस का सही मापदंड ।। What is the true measure of happiness
ये तय कैसे हुआ? खुशी कैसे नापी जा सकती है, किसी देश की आप फीलिंग को कैसे माप सकते हैं? वो भी पूरे देश की फ़ीलिंग.
क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे खुशहाल देश कौन-सा है?
आप जानते ही हैं कि हर साल 20 मार्च को दुनिया, वर्ल्ड हैप्पीनेस डे मनाती है और इसी दिन यूएन एक रिपोर्ट जारी करता है जिसमें बताता है कि किस देश में लोग कितने खुश हैं. इस आधार पर देशों को रैंकिंग भी दी जाती है
किसी देश की खुशी को मापने का कोई निश्चित तरीका नहीं है, क्योंकि यह एक व्यक्तिपरक और बहुआयामी अवधारणा है। हालांकि, आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कई उपाय हैं जो खुशी और कल्याण के विभिन्न पहलुओं को पकड़ने का प्रयास करते हैं। एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला उपाय वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट है, जो देशों को उनके नागरिकों द्वारा बताए गए खुशी के स्तर के आधार पर रैंक करता है। रिपोर्ट आय, सामाजिक समर्थन, जीवन प्रत्याशा, जीवन विकल्प बनाने की स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार की धारणा जैसे कारकों पर विचार करती है। एक अन्य उपाय हैप्पी प्लैनेट इंडेक्स है, जो देश की पर्यावरणीय स्थिरता के अलावा देश के खुशी और कल्याण के स्तर को ध्यान में रखता है। सूचकांक जीवन प्रत्याशा, भलाई, असमानता और पारिस्थितिक पदचिह्न जैसे कारकों को मापता है।
खुशी के अन्य उपायों में गैलप वर्ल्ड पोल शामिल है, जो दुनिया भर के लोगों को उनकी भलाई और मानव विकास सूचकांक के बारे में सर्वेक्षण करता है, जो जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और आय जैसे कारकों पर विचार करता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये उपाय सही नहीं हैं और सांस्कृतिक अंतर और व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि, वे विभिन्न देशों में खुशी और कल्याण में योगदान करने वाले कारकों में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
जुलाई 2011 में संयुक्त राष्ट्र ने "Happiness: Towards a holistic approach to development" नाम का एक प्रस्ताव अपनाया. उन्होंने तमाम सरकारों से कहा कि वो सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ-साथ लोगों की खुशी और भलाई को भी ज़्यादा अहमियत दें. अप्रैल 2012 में भूटान की शाही सरकार ने दुनियाभर के प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई, जिसमें चर्चा हुई कि लोगों की खुशी और भलाई को भी एक आर्थिक पहलू की तरह देखा जाए. इसके लिए आयोग नियुक्त करने की सिफारिश हुई, जिसे भूटान के प्रधानमंत्री जिग्मे थिनले ने स्वीकार कर लिया. उन्होंने प्रस्ताव रखा कि संयुक्त राष्ट्र भी इस आयोग का सह-स्वामित्व करे और ये आयोग यूएन महासचिव के सहयोग से काम करे.
भूटान के प्रधानमंत्री जिग्मे थिनले और अर्थशास्त्री जेफ़री डी सैक्स की अध्यक्षता में वर्ल्ड हैप्पीनेस डे की पहली रिपोर्ट जारी की गई.
तब से हर साल ये रिपोर्ट जारी हो रही है और इसकी रैंकिंग चर्चा का विषय रही है.
टॉप 10 की लिस्ट में अन्य देश हैं - इसराइल, नीदरलैंड, स्वीडन, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, लक्ज़मबर्ग और न्यूजीलैंड.
137 देशों में अफ़ग़ानिस्तान सबसे निचले पायदान पर है या कहें कि रिपोर्ट के मुताबिक़, ये सबसे ज़्यादा दुखी देश है.
इसके अलावा रैंक में नीचे रहने वाले देशों में लेबनान, ज़िम्बॉब्वे, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो जैसे देश हैं.
भारत इस साल 125वें पायदान पर है. पिछली बार के मुक़ाबले भारत की रैंकिंग में सुधार ज़रूर हुआ है लेकिन लिस्ट में उसका नाम नेपाल, चीन और बांग्लादेश जैसे अपने पड़ोसी देशों से भी नीचे है. यहां तक कि जंग लड़ रहे रूस और यूक्रेन भी इस लिस्ट में भारत से आगे हैं. रूस 70वें और यूक्रेन 92वें पायदान पर है.
दुनिया का सबसे खुशहाल देश है? जवाब है--फिनलैंड.
डेनमार्क और आइसलैंड दूसरे और तीसरे पायदान पर हैं.
Comments
Post a Comment