बाॅम्बे हाई कोर्ट: विधवा ने दोबारा शादी की तो पहले पति की मौत का मुआवजा मिलेगा...हाँ/नहीं?


दुर्घटना में अपने पति की मौत के बाद उसकी विधवा पुनर्विवाह कर लेती है तो उसे मुआवजा मिलेगा या नहीं? बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में कहा है कि मोटर वाहन अधिनियम (एमवीए) के तहत ऐसी महिला को मुआवजे देने से इनकार नहीं किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के एक आदेश को बरकरार रखा है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक विधवा महिला को मुआवजा न देने की इंश्योरेंस कंपनी की दलील को खारिज करते हुए कहा कि मोटर व्हीकल्स एक्ट के तहत ऐसी महिला को सड़क हादसे में मौत की वजह से इंश्योरेंस कंपनी की ओर से दिया जाने वाला मुआवजा निश्चित तौर मिलेगा.

बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए आए इस मामले के मुताबिक़ 19 साल की एक महिला के पति की 2010 में सड़क हादसे में मौत हो गई थी. इसके बाद महिला ने दोबारा शादी कर ली.

भारत में, हिंदू विधवाओं के लिए, धारा 15 हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1956 के तहत उपलब्ध है, जो विधवाओं को पुनः विवाह करने की अनुमति देता है। इस अधिनियम के तहत, विधवाओं को पहले पति की मौत के बाद उनके पति के पास छोड़े गए संपत्ति के बारे में न्यायिक मुआवजा मिलता है। इसलिए, अगर विधवा ने पहले के पति के मरने के बाद उसकी संपत्ति का अधिकार नहीं दावा किया है तो उसे न्यायिक मुआवजा नहीं मिलेगा।

हालांकि, इसके अलावा भारत के अन्य धर्मों और संबंध विधियों के अनुसार अलग-अलग नियम हो सकते हैं।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, इफ्को टोक्यो जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने महिला के मुआवजे के दावे को खारिज करते हुए कहा कि चूंकि महिला ने दोबारा शादी कर ली है इसलिए मुआवजे पर उसका हक नहीं बनता.

मामला 15 मई, 2010 की एक घटना से जुड़ा है, जब गणेश अपने दोस्त सखाराम की मोटरसाइकिल पर पिछली सीट पर सवार होकर जा रहा था। वे मुंबई-पुणे रोड पर कामशेत की ओर जा रहे थे। तेज और लापरवाही से चलाए जा रहे एक ऑटोरिक्शा ने उन्हें टक्कर मार दी। सखाराम और गणेश को काफी चोटें आई हैं। गणेश को भी सिर में चोट लगी और अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

मामला मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में गया था, जिसने इंश्योरेंस कंपनी को महिला को मुआवजे देने का निर्देश दिया था. इंश्योरेंस कंपनी ट्रिब्यूनल के इस इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
हाई कोर्ट में इंश्योरेंस कंपनी ने कहा था कि चूंकि गणेश की पत्नी ने उनकी मौत के बाद दूसरी शादी कर ली थी इसलिए वो मुआवजे की हकदार नहीं हैं.

न्यायमूर्ति  एस जी दिगे की सिंगल जज की बेंच ने 3 मार्च के फैसले में कहा कि इस बात की उम्मीद नहीं की जाती कि दुर्घटना में मारे गए पति की मौत का मुआवजा लेने के लिए पत्नी को जिंदगी भर विधवा रहना होगा.

कोर्ट ने रिकॉर्ड देखने पर पाया कि पति की मौत के समय महिला की उम्र 19 साल थी. कोर्ट ने कहा कि मुआवजे के लिए सड़क हादसे के समय शख्स का पत्नी होना ही पर्याप्त है.

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