पेगासस स्पाईवेयर ll Pegasus Spyware

 देश के कई पत्रकारों और चर्चित हस्तियों के फोन पर पेगासस स्पाईवेयर की नज़र है

पेगासस एक स्पाईवेयर है जिसे इजराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नोलॉजीज ने बनाया है ये एक ऐसा प्रोग्राम हैं जिसे अगर किसी स्मार्टफोन में डाल दिया जाए तो कोई हैकर उस स्मार्टफोन के माइक्रोफोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्स्ट मैसेज, ईमेल और लोकेशन तक कि जानकारी हासिल कर सकता है, अर्थात इस स्पाईवेयर के माध्यम से फोन की क्लोनिंग करना, किसी के भी फोन में क्या  एक्टिंवटीज हो रहा है ब्रदरहुड सीसे की तरह साफ देख सकता है 

द वायर और 16 मीडिया सहयोगियों की एक पड़ताल के मुताबिक, इज़राइल की एक सर्विलांस तकनीक कंपनी के कई सरकारों के क्लाइंट्स की दिलचस्पी वाले ऐसे लोगों के हजारों टेलीफोन नंबरों की लीक हुई एक सूची में 300 सत्यापित भारतीय नंबर हैं, इनमें मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, न्यायापालिका से जुड़े लोगों, कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं आदि के नाम शामिल हैं

दुनियाभर में पेगासस की विक्री करने वाली इजराइली कंपनी एनएसओ ने अपने ग्राहकों की पहचान करने से इनकार करते हुए, खुद पर लगे आरोपों को खारिज कर कहती हैं कि वो इस प्रोग्राम को केवल मान्यता प्राप्त सरकारी एजेंसियों को बेचती हैं और इसका उद्देश्य "आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ना" है, हालांकि द वायर के अनुसार इस सम्भावना को खारिज किया गया कि भारत में या विदेश में कोई निजी संस्था इस सेंधमारी के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं

लीक डेटाबेस पेरिस अधारित ग़ैर _लाभकारी मीडिया संस्था फॉरबिडेन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा हासिल किया गया और इसे द वायर, ल मोदं, द गार्जियन, वाशिंग्टन पोस्ट, सुडडोईच जाईट्रंग और दस अन्य मैक्सिकन, अरबी और लेबनानी न्यूज संगठनों के साथ "पेगासस प्रोजेक्ट" नमस्ते नाम के एक साझा तहकीकात के हिस्से के तौर पर साझा किया गया, सूची में पहचान किये गये नंबरों का अधिकांश हिस्सा 10 देशों के समूहों, - भारत, अजरबैजान, बहरीन, कजाकिस्तान, मेक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में केंद्रित था

यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में आधारित डिजिटल सर्विलांस शोध संगठन सिटिजन लैब के विशेषज्ञों का कहना है कि इन सभी देशों में 2018 में पेगासस के सक्रिय ऑपरेटर थे, एमनेस्टी इंटरनेशनल के तकनीक लैब के साथ मिलकर काम करते हुए, फॉरबिडेन स्टोरीज द्वारा समन्वित 60 से अधिक पत्रकारों की एक टीम ने इन नंबर वाले लोगों की पहचान और पुष्टि करने के लिए कोशिश की और इसके बाद उनके द्वारा इस्तेमाल में लाए जा रहे फोन की, डेटा में बताई गई समयावधि के लिए, जो भारत के मामले में 2017 के मध्य में से जुलाई 2019 तक के लगभग का समय है, फरेंसिक जांच करने की कोशिश की

द वायर ने कहा कि वो उन नामों को अगले कुछ दिनों में अपने सहयोगियों के साथ एक_एक करके उजागर करेगा

इंडियन टेलीग्राफ एक्ट और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, ऐसे नियमों का निर्धारण करता वही अलग_अलग देशों के अपने अलग_अलग कानून हैं, भारत में किसी व्यक्ति निजी या सरकार द्बारा हैकिंग करके किसी सर्विलांस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करना आईटी एक्ट के तहत एक अपराध है

चुने गए नामों में से 40 से अधिक पत्रकार हैं जो विभिन्न न्यूज चैनलों से आते हैं इनमें से द वायर, द इंडियन एक्सप्रेस, मिंट, द हिन्दू... के नाम शामिल हैं इसके अलावा प्रमुख विपक्षी नेता, एक संवैधानिक प्राधिकारी, मोदी सरकार में पदासीन दो मंत्री, सुरक्षा संगठनों के वर्तमान एवं पूर्व प्रमुख अधिकारी और बड़ी संख्या में कारोबारी के नाम शामिल हैं... |


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