बिग ब्रदर के ऊपर उठे सवालों को दबाने का हथियार हैं : पेगासस

 


 संकट ग्रस्त अर्थिक हालत वाले देश मेंं पेगासस जासूसी की जो नई लिस्ट जारी की गई है, विपक्ष और पत्रकारों की जासूसी भयावह है इसमें भारी संख्या में पत्रकार शामिल हैं जिन्होंने वर्तमान (..........) के आक़ा के खिलाफ अपनी विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की है या अन्य क्षणमात्र के भिन्न राय रखीं है, उनका नंबर सर्विलांस किया गया

पेगासस स्पाईवेयर कांड में दुनियाभर के 16 न्यूज संस्थानों और 80 से अधिक पत्रकारों की हफ्ते भर की छानबीन के बाद, द वायर ने उन लोगों के नाम को जाहिर किया है जो पेगासस स्पाईवेयर के शिकार हुये हैं

इस सम्भावित सूची में दो नंबर विपक्ष नेता राहुल गांधी के थे और उनके नजदीकी दोस्तों 'जिनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है' इसके अलावा इनके तीन राजनीतिक सलाहकार जो इनके आसपास रहते हैं का है, राहुल गांधी ने द वायर के दिए एक बयान में बताया कि उनके वॉटसप पर अतीत में संदिग्ध मैसेज आए हैं, यदि आप की जानकारी सही है तो इस स्तर की निगरानी व्यक्तियों की गोपनीयता पर हमले से आगे की बात है यह हमारे लोकतांत्रिक नींव पर हमला है इसकी गहन जांच होनी चाहिए और इसके प्रति जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उन्हें सज़ा दी जाए

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, राहुल गांधी के स्टाफ की जासूसी करवाकर आप कौन से उग्रवादी से लड़ रहे हैं पेगासस सोफ्टवेयर आप के सरकार को बेचा गया है और आप इसके खरीददार है, भारतीय जनता पार्टी का नाम बदल कर भारतीय जासूस पार्टी रख देना चाहिए

द वायर की रिसर्च रिपोर्ट यह भी बताता है कि जासूसी के सम्भावि लोगों के लिस्ट में पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का भी नाम है 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधान मंत्री मोदी के बारे में अलग राय दी थीं, इस स्पाईवेयर से पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की टीम भी नहीं बच पाई राजनीतिक पार्टी के प्रशांत किशोर और अभिषेक बनर्जी जिनकी हालहि के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका रही

वर्तमान सरकार के नव निर्वाचित केंद्रीय मंत्री आईटी मिनिस्टर अश्वनी वैष्णव और प्रहलाद सिंह पटेल का भी नाम शामिल रहा जो कि उसी सरकार के संरक्षक है

इन अहम नामों में सबसे से अधिक महत्वपूर्ण नाम आता है भारत के पूर्व जस्टिस चीफ रंजन गोगोई का, रंजन गोगोई जब सिटिंग जज थे तब उनपर उन्हीं के एक महिला सहायक ने सेक्सुअल हरासमेंट का आरोप लगाया था, दिसंबर 2018 में ये ख़बर काफ़ी हाईलाइट हुआ और लंबा चला, तब उस समय उस महिला के नंबर पर और उसके पति सहित परिवार के 11 सदस्यों के फोन  गतिविधियों का पेगासस के द्वारा जासूसी कराया गया

पत्रकारों के फोन टैब की बात करे तो इनमें है, द वायर के सिद्धार्थ वर्धराजन, एमके वेणु, रोहिणी सिंह स्वाती चतुर्वेदी, प्रेमशंकर झॉ, ट्रिब्यून के रिपोर्टर स्मृता शर्मा, इंडियन एक्सप्रेस के तब के डिप्टी एडिटर सुशांत सिंह, रितिका चोपड़ा, द हिन्दू की विजेता सिंह, द पायनियर के जी गोपीकृष्णा........ नाम शामिल हैं 

द वायर की पत्रकार रोहिणी सिंह कहती हैं कि, सरकार का एक ही लक्ष्य अपनी गंभीर से गंभीर विफलताओं को नॉर्मल बनाकर ख़ारिज करना, प्राइसिंग फ्यूल नॉर्मल, बेरोजगारी नॉर्मल, इकनॉमिक फॉलिंग नॉर्मल, पत्रकारों पर मुकदमे नॉर्मल अब ऐसे सिचुएशन आ गई है कि प्राइवेसी भी नॉर्मल बताया जा रहा है, सरकार ये दिखाना चाहती है कि उसकी जो भी विफलता हैं वो सब बहुत ही नॉर्मल है, अगर कोई इसकी पड़ताल करे तो विपक्ष की साजिश बताया जाता है

निजता की जब बात आती है तो वह किसी एक विशेष नेता, उद्योगपति, जर्नलिस्ट.... की बात नहीं होती ये भारत के हर व्यक्ति की निजता की बात होती है और निजता का अधिकार हर व्यक्ति की मौलिक अधिकार है ये अधिकार हमे भारत का संविधान देता है, लेकिन जब संविधान के संरक्षक ही संविधान की धज्जियां उड़ाने लगे तो यह चिंता का विषय है, सरकार को यह क्लियर करना होगा कि वह पेगासस को इज़रायल से ख़रीदा है कि नहीं, अगर ख़रीदा है तो वह व्यक्ति विशेष की सर्विलांस क्यों कर रहीं हैं जो सामाजिक अधिकारों की बाते करते हैं सरकार इसका इसका एक्सप्लेनेशन दे, अगर नहीं ख़रीदा है तो भारत में पेगासस को किसने ख़रीदा इसकी गहन जांच कराईं जाए क्योंकि यह निजता का मामला है राष्ट्र की सुरक्षा का मामला है 

सुशांत सिंह बताते हैं जो पत्रकार और लेखक हैं, मेरा फोन पेगासस स्पाईवेयर की लिस्ट में मध्य 2018 के करीब आया, अभी हालहि में मेरा फोन चेक किया गया फरेंसिक के द्वारा उसमे पेगासस के एंट्री के एविडेंस पाया गया, सुशांत खोजी पत्रकारिता से जुड़े थे जिनमें राफ़ाल स्टोरीज, सुप्रीम कोर्ट में उच्च तबके के लोगों की क्लोजिंयन रूप में इंट्री, सीबीआई आलोक वर्मा केस, लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ व कब्ज़ा... आदि की स्टोरी कवर किये थे, इसी तरह अन्य... 


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