लॉकडाउन का सलाहकार कौन
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र जैसे थम सा गया था जब 24 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा, आज रात 12 बजे से संपूर्ण देश में, संपूर्ण लॉकडाउन होने जा रहा, घरों से बाहर निकलने पर पूरी तरह पाबंदी लगाई जा रही हैं, भारत में लगाया गया लॉकडाउन ऎसा था जिसे पहले कभी किसी ने नहीं देखा था, उससे पहले 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का एलान किया गया, फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए देश भर में ताली और थाली बजायी गयी, फिर लाॅकडाउन, लेकिन क्या उससे पहले स्वास्थ्य और वित्त जैसे अहम मंत्रालयों से ली गई थी सलाह... |
कोरोना के कुल संक्रमण और मौतों के मामले में भारत दुनिया के सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में शामिल हैं इस महामारी से निपटने के लिए भारत ने लॉकडाउन को अहमियत देना मुनासिब समझा, 24 मार्च को लॉकडाउन ऐलान को एक साल हो जाएंगे |प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन लगाने से पहले लोगों को सिर्फ चार घंटे का नोटिस दिया लेकिन उस अप्रत्याशित ऐलान से पहले के अहम घंटों और दिनों में अखिरकार ये फ़ैसला कैसे लिया गया था, सूचना के अधिकार कानून के तहत बीबीसी के संवाददाता जुगुल पुरोहित ने (कवर स्टोरी में विधिवत बताया) कई अधिकारिक दस्तावेजों की स्टडी की और सरकारी विभागों से सूचना मागी केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से हासिल इन दस्तावेजों से पहली बार जानकारी सामने आई कि लॉकडाउन लागू होने से पहले क्या हालत थी, भारत में लॉकडाउन की कमान एक सरकारी संस्था, नैशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी यानि NDMA की हाथों में थी और इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं |जब NDMA से पूछा गया कि वो सभी एक्सपर्ट, सरकारी और गैर सरकारी विभागों के नाम बताएं, जिनसे लॉकडाउन के बारे में चर्चा की गई थी और ये भी पूछा गया कि कोरोना वायरस के मुद्दे पर हुई तमाम मीटिंग्स में इसके चेयरपर्सन ने कितनी मीटिंग अटेंड की दोनों सवालों का जवाब था "शून्य" |कई अधिकारिक संस्थाओं को जब अप्रोच किया गया तो उन्होंने आरटीआई एप्लीकेशन को गृह मंत्रालय को भेज दिया गया, उनमें प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रपति कार्यालय, कृषि मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय... शामिल हैं |जब गृह मंत्रालय से पूछा गया कि लॉकडाउन लगाने से पहले मंत्रालय के भीतर क्या किसी किस्म की चर्चा हुईं थीं, तो गोपनीयता का हवाला देते हुए कहा कि रणनीतिक और अर्थिक हितों से संबंधित है और गोपनीय सूचना हैं आरटीआई एक्ट 2005 के सेक्शन 8(1) और E के तहत साझा नहीं की जा सकती |
आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कोविड 19 गवर्नमेंट रिस्पॉन्स ट्रैकर की रिपोर्ट के अनुसार, 24 मार्च 2020 में भारत में लागू लॉकडाउन को 100 में से 100 नंबर देकर विश्व का सबसे कठोर लॉकडाउन बता रहा है |इसका प्रमाण सड़कों पर हताश हुये बच्चे, बूढ़े और महिलाएं हैं जो हज़ारों किमी का सफर पैदल तय किये, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 300 प्रवासी मजदूर का मौत थकान, रोड हादसे और भूख - प्यास से हो गई |मजदूरों की हालत पर दस्तावेज तैयार करने वाली प्रीति सिंह संगठन ने बताया कि - मैं आश्चर्यचकित नहीं हूँ, जब हम जमीनी स्तर पर काम कर रहे थे, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, सेक्रेट्री लेवल.... से बात करके ऐसा लग रहा था कि उनकों कुछ भी पता नहीं है, मुझे लग रहा है कि शायद माननीय प्रधानमंत्री के अलावा किसी को नहीं पता था|लॉकडाउन ने भारत की अर्थव्यवस्था को भी हिलाकर रख दिया भारत की जीडीपी में -24 प्रतिशत ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई |लॉकडाउन लगने से चार दिन पहले 20 मार्च को प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से चर्चा की थी लेकिन बाद में जब रिलीज जारी की गई उसमें लॉकडाउन शब्द का ज़िक्र तक नहीं था तो सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से पूछा गया कि क्या पूरे देश में लॉकडाउन की चर्चा मुख्यमंत्रियों के साथ की गई थी PMO ने एप्लिकेशन को आगे बढ़ा दिया, फिर गृह मंत्रालय ने पुराने प्रेस रिलीज देखने को कहा, तेलंगाना, असम, उत्तर प्रदेश यहां तक कि दिल्ली और दिल्ली के मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल और प्रमुख सचिव, इन लोगों ने स्पष्ट किया कि केंद्र शासन द्वारा लागू किये गये लॉकडाउन से पहले सलाह मशविरा संबन्धी कोई जानकारी इनके पास नहीं थी
राष्ट्रीय लॉकडाउन का ऐलान करते वक्त प्रधानमंत्री मोदी ने इसके आर्थिक असर के बारे में चेतावनी दी थी, क्या उनकी सरकार के पास इस नुकसान को कम करने के लिए कोई योजना थी और क्या वित्त मंत्रालय नियामक से संपर्क किया गया था और साथ ही स्वास्थ्य कर्मचारियों को इसके बारे में जानकारी थी, नैशनल सेंटर फॉर डिजीस्ट कंट्रोल के प्रमुख डां. सुजीत सिंह और डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज से भी पूछा गया कि क्या लॉकडाउन की प्लानिंग में उनकी कोई भूमिका थी या फिर लॉकडाउन से पहले उन्हें कोई जानकारी थी सब का पूरे विभाग का एक ही जवाब था 'हमे कोई जानकारी नहीं दी गई थी'
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